संस्थान के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि लगभग 80 वर्ष पहले से यहां अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. विभिन्न दुर्गा पूजा समितियों से इस प्रशिक्षण के लिए निमंत्रण भी मिलता है. अखाड़े के सभी खिलाड़ी बंगईठी, लाठी, तलवार, पट्टा, वानागजवाना, फरसा, गरासा, भला, गदका और फड़ी का प्रदर्शन करते हैं.