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मिथिलांचल की एक अनोखी परंपरा, सुनकर आप भी हो जाएंगे हैरान

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दरभंगा:- मैथिली भाषा में मैथिली लोगों के बीच यह स्लोगन “प्रेतक भोजन तीन केड़ा, कब-कब, मीन” श्राद्ध कर्म को लेकर कही जाती है. ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि मिथिला में होने वाले किसी भी सनातनी के यहां श्राद्ध कर्म में केला, ओल और मछली की उपयोगिता आवश्यक तौर पर होती है. तभी जाकर मृत्यु के बाद आत्मा को शांति मिलती है.

​दरभंगा:- मैथिली भाषा में मैथिली लोगों के बीच यह स्लोगन “प्रेतक भोजन तीन केड़ा, कब-कब, मीन” श्राद्ध कर्म को लेकर कही जाती है. ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि मिथिला में होने वाले किसी भी सनातनी के यहां श्राद्ध कर्म में केला, ओल और मछली की उपयोगिता आवश्यक तौर पर होती है. तभी जाकर मृत्यु के बाद आत्मा को शांति मिलती है. 

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