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मौसम के अनुसार बदलता है रंग, मूंगे की चट्टान को तराशकर हुआ है निर्माण

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18वीं शताब्दी में ये मूर्तियां चम्पारण से होते हुए नेपाल को ले जाई जा रही थी. रास्ते में बेतिया के राजा हरेंद्र किशोर ने इसे देखा और अद्वितीय होने की वजह से खरीदने के लिए मुंह मांगी कीमत का प्रस्ताव रखा.

​18वीं शताब्दी में ये मूर्तियां चम्पारण से होते हुए नेपाल को ले जाई जा रही थी. रास्ते में बेतिया के राजा हरेंद्र किशोर ने इसे देखा और अद्वितीय होने की वजह से खरीदने के लिए मुंह मांगी कीमत का प्रस्ताव रखा. 

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