सुधीरा देवी की कला और उनके प्रयासों ने यह सिद्ध किया है कि सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक कलाएं आधुनिक समाज में भी प्रासंगिक और सम्माननीय हो सकती हैं. उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और एक उदाहरण है कि कैसे परंपरा और नवाचार का संगम एक नई दिशा और पहचान प्रदान कर सकता है.